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एल्बर्ट हबर्ड

1856 - 1915

एल्बर्ट हबर्ड की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 2

कम से कम पाँच मिनट के लिए तो प्रत्येक व्यक्ति प्रति-दिन मूर्ख बनता ही है। हमारी बुद्धिमानी इसी में है कि पाँच मिनट की अवधि को बढ़ने दें।

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प्रतिभा केवल सतत प्रयास करने की शक्ति है।

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