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श्रीभट्ट

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वृंदाविपिन विलासी राधा और कृष्ण के उपासक निंबार्क संप्रदाय के महत्त्वपूर्ण कवि।

वृंदाविपिन विलासी राधा और कृष्ण के उपासक निंबार्क संप्रदाय के महत्त्वपूर्ण कवि।

श्रीभट्ट की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 3

तनिक धीरज धरि सकै, सुनि धुनि होत अधीन।

बंसी बंसीलाल की, बंधन कों मन-मीन॥

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जनम-जनम जिनके सदा, हम चक्कर निसि-भोर।

त्रिभुवन-पोषन सुधाकर, ठाकुर जुगल-किशोर॥

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मोहन दन ब्रजभूमि सब, मोहन सहज समाज।

मोहन जमुना कुंज तहँ, बिहरत श्रीब्रजराज॥

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पद 7

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