विएना (आष्ट्रिया)

wiyena (ashtriya)

योगेंद्रनाथ सिंह

योगेंद्रनाथ सिंह

विएना (आष्ट्रिया)

योगेंद्रनाथ सिंह

और अधिकयोगेंद्रनाथ सिंह

    सेल्सबर्ग से दो घंटे के मार्ग पर ही आस्ट्रिया की राजधानी की मनोहारिणी नगरी 'विएना' है। 'विएना' को हम उद्यानमयी नगरी कह सकते हैं। स्थल स्थल पर जलाशय, उद्यान और गगनस्पर्शी प्रासाद इसकी विशेषताएँ हैं। 'विएना' की नगर-रचना बहुत सुंदर है। यूरोप के स्वास्थ्यप्रद नगरों में इसका प्रमुख स्थान है। अनेक देशों के छान डाक्टरी की शिक्षा लेने यहाँ आते हैं। यहाँ बड़े-बड़े सेनीटोरियम, अस्पताल और प्रयोग-शालाएँ हैं। इलाज के लिए भारतवर्ष के अनेक राजा महाराजा भी प्रायः यहाँ आकर रहते हैं। प्रेसिडेंट पटेल यहाँ आकर रहे थे। उनका स्वर्गवास भी इसी स्वर्गीय भूमि पर हुआ था। बाबू सुभाषचंद्र बोस, स्वर्गीय कमला नेहरू आदि भी यहीं इलाज के लिए आई थीं। अब भी कई महाराजा यहाँ बसे हुए हैं। संस्थाओं की अट्टालिकाएँ और राज-प्रासाद बड़े भव्य और कलामय बने हैं। डाक्टर शुसनिंग, जो आष्ट्रिया के वर्तमान चांसलर हैं, अब (शुप्सनिंग जर्मनी की जेल में बंद हैं, या उनका मरण हो गया है, ठीक पता नहीं) बड़े देशभक्त और सर्वमान्य नेता हैं। विरोधी दल भी उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हैं। परंतु 'नाज़ियों' का जाल आष्ट्रिया में सर्वन फैला हुआ है। यह डा० शुसनिंग का ही व्यक्तित्व है, जो बड़ी शांति किंतु दृढ़ता के साथ सभी को अभी तक एक सूत्र से संचालित कर रहा है। (परंतु अब जर्मन सत्ता के अधिकार में जाने के कारण डॉ० शुसनिंग जेल में बंद पड़े हैं और स्वतंत्र आष्ट्रिया हिटलर के पंजे में अपनी ज़िंदगी के दिन बिता रहा है।)

    विएना की समाजवादी म्युनिसिपैलिटी ने शहर में सुंदरता लाने मे पड़ा श्रम किया है। सुंदर मकान और क्रीड़ा-भवन, उद्यान तथा संस्थाओं के जागरण में इसका बहुत बड़ा हाथ माना जाता है। यूँ तो यह सारा नगर ही यूरोप में फ्रेंच राजधानी पेरिस नगरी को छोड़ सभी से सुंदर और मनोहर समझा जाता है।

    नगर के मध्यभाग में पुरातन-कालीन स्मृति-अवशेष विभाग 'ग्राबेन' नाम से अब भी अवस्थित है। इसके निकट सेंट-स्टिफ़िन-चर्च और 'हाकपुर्ज' महल है; और मइल के दूसरी ओर ही यूरोप भर में प्रसिद्ध 'ओपेरा-हाउस' (रंग-मंच) है। अपेरा के चारों ओर अत्यंत भव्य गगनचुंबी प्रासादोंवाली अंडाकृति सड़कें चली गई हैं, जिनकी गोलाई के कारण यह 'रिंगस्ट्रासे' नाम से पहचाना जाता है।

    अपेरा के निकट वाली '12 नवंबर' नामक सड़क इतनी सुंदर, उद्यानयुक्त और विद्युल्लता-वेष्ठित है कि दिनरात हज़ारों नर-नारी की पहल-पहल यहाँ पनी ही रहती है। अपेरा की नयनरम्य फलापूर्ण भट्टालिका के चारों तरफ़ 'करंटनेरटिंग' नामक सड़क है, जो मध्य में वृक्षलताओं की हरीतिमा से ऐसी मोहनी डालती है कि लोगों का समूह इसी गोलाई में भूल-भुलैया की तरह घूमा करता है। इस स्ट्रीट पर आष्ट्रिया के व्यापारि-वर्ग, धनिकवर्ग और रईसों की ही प्रायः इमारतें हैं।

    नगर के एक ओर 'डेन्यूब' नदी के पश्चिम में एक बहुत बड़ा और बहुत ही सुंदर 'प्रातेर-पार्क' नामक उद्यान है। यहाँ नदी की वेगवती धारा का दृश्य भी दार्शनीय ही है। हज़ारों सैलानी युवक-युवती इस पार्क में सैर करने आते-जाते रहते हैं। आष्ट्रिया की यह राजधानी वास्तव में बहुत सुंदर है। परंतु कहते हैं, युद्ध के अनंतर इसमें वह जीवन नहीं रहा। भवनों की भीड़-भाड़ में लोक-संख्या की कमी और ग़रीबी की सुस्ती खटकती रहती है। तथापि हम इस 'प्रातेर-पार्क' को विएना की जान कह सकते हैं। युवक, वृद्ध, स्त्री, पुरुष, सभी के आमोद-प्रमोद का यह एकमात्र अति रम्य स्थान है, जहाँ यूरोप का जीवन लक्षित होता है। पार्क की रचना भी ऐसी नयनरम्य एवं कलापूर्ण है कि वहाँ से हटने का जी नहीं चाहेगा।

    'रिंगट्रासे'—जैसी शानदार सड़क उतनी भरी हुई नहीं मिलती, जितनी उसकी भव्यता है। युद्ध के अनंतर उध्वस्त, विगलित, जर्जर आस्ट्रिया की यह दशा शमशान-शांति जैसी ही है। ...और नहीं तो क्या?

    'विएना' का टाउनहाल नगर-मध्य में भीमकाय खड़ा हुआ है। इसी तरह यहाँ का विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) भी देखने लायक़ है। भव्य और आकर्षक भवन है। बाहर कई स्मारक बने हुए हैं। यहाँ विज्ञान को शिक्षा लेने भारतीय और अन्य देशों के लोग बराबर आते हैं। परंतु सन् 15-16 के बाद इस राष्ट्र की आर्थिक निर्मलता ने शिक्षा में कुछ शिथिलता ला दी है। छात्रों और अध्यापकों की दशा संतोषजनक दिखाई नहीं दी।

    'श्वार्टजेन बर्डी' नामक उद्यान, फव्वारे और राजप्रासाद भी शोभा के घाम बने हुए हैं। 'ग्रावेन' नामक बाज़ार अपने अतीत वैभव को छुपाए हुए धुंधली-सी स्मृति के रूप में नगर मध्य में दिखाई पड़ता है। यहाँ नवीनता के आवरण में, मध्य में पुरातनता का आवास है।

    सुंदर उद्यान, कृत्रिम झरने, नूतन कलामय शिल्प के मूर्तिमान् भवन, राजप्रासाद् और राष्ट्रीय विभागों के आफ़िस भी दर्शनीय है।

    एक ओर विशाल म्युनिसिपल इमारत सड़ी है, जिसके आसपास सुंदर उद्यान लगा हुआ है।

    एलिजाबेथ और मेरिया थेरेसिया तथा क्रिस्तीना के स्मारक, फ्राइ-आइट-सप्लाइज तथा प्रातेर और कार्ल के चौराहे, शनवून के राजमहल और अत्यंत विस्तृत एवं मनोहर बग़ीचे, घेल्वेडियर-पार्क आदि अनेक स्थान वास्तव में सुंदर, आकर्षक और देखने योग्य हैं। नगर के एक ओर 'वाडेन' नामक स्थान है, जहाँ के स्रोत रोगियों के लिए रामबाण माने जाते हैं। अनेक रोगी यहाँ स्रोतस्नान के लिए आया करते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दुनिया की सैर (पृष्ठ 119)
    • रचनाकार : योगेंद्रनाथ सिंह
    • प्रकाशन : पुस्तक-भंडार

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए