अँग्रेज़ी साहित्य में जब से मैथ्यू आर्नाल्ड का—‘साहित्य जीवन की व्याख्या है’—यह सिद्धांत प्रचलित हुआ, तब से कलाओं का लोकपक्ष पर विशेष रूप से आग्रह किया जाने लगा।
अँग्रेज़ी साहित्य में जब से मैथ्यू आर्नाल्ड का—‘साहित्य जीवन की व्याख्या है’—यह सिद्धांत प्रचलित हुआ, तब से कलाओं का लोकपक्ष पर विशेष रूप से आग्रह किया जाने लगा।