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उपदेशक पर दोहे

पारंपरिक अर्थ में उपदेश

या शिक्षाएँ देने वाला व्यक्ति।

मुला मुनारै क्या चढ़हि, अला बहिरा होइ।

जेहिं कारन तू बांग दे, सो दिल ही भीतरि जोइ॥

हे मुल्ला! तू मीनार पर चढ़कर बाँग देता है, अल्लाह बहरा नहीं है। जिसके लिए तू बाँग देता है, उसे अपने दिल के भीतर देख।

कबीर

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