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प्यारे बिन भर आये दोऊ नैन
प्यारे बिन भर आये दोऊ नैन।जब तैं स्याम गमन कियौ गोकुल तैं, नाँही परत री चैन॥
बैजू
यों संसार फूल सेमर को
ख़ाली मुट्ठी आयो मूरख, कसतर बणज कमावे॥पुण्य कमाई करी न मासा, तोला भर ले जावे।
सैन भगत
कवितावली (उत्तर कांड से) (एन.सी. ई.आर.टी)
बहु बिधि सोचत सोच बिमोचन। स्रवत सलिल राजिव दल लोचन॥उमा एक अखंड रघुराई। नर गति भगत कृपाल देखाई॥
तुलसीदास
चिरजीवौ लाल गोवर्धन धारी
देवराज परतिग्या मेटी गोप भेख लीला अवतारी।नल कूबर मनिग्रीव उबारे बालकदसा पूतना मारी॥
परमानंद दास
ब्रजवासी तें हरि की सोभा
बीच लाल ब्रजचंद सुहाये, चहूँ, ओर ब्रज-गोप।‘नागरिया' परमेसुरहू की, ब्रज ते बाढ़ी ओप॥
नागरीदास
प्रगट भये हरि श्री गोकुल में
प्रगट भये हरि श्री गोकुल में।नाचत गोपी गोप परस्पर आनंद प्रेम भरे हैं मनमें।
परमानंद दास
कैसो माई अचरच उपजै भारी
बरखे मेघ महाप्रलय के तिनते घोष उबार्यो।गोधन ग्वाल गोप सब राखे सुरपति गरब प्रहार्यो॥