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उठि चलि मान तजि बाबरी
उठि चलि मान तजि बाबरी॥रसिक कुँवर तुही तुही जु जपत हैं ना जानों तो सों कहा भावरी।
गोविंद स्वामी
कोई दिलवर की डगर बता दे रे
कोई दिलवर की डगर बता दे रे।लोचन कंज कुटिल भृकुटि कच, काननन कथा सुना दे रे॥
ललितकिशोरी
मुसाफिर, रैन रही थोरी
मंजिल दूरि, भूरि भवसागर, मान कूरमति मोरी।‘ललितकिसोरी' हाकिम सों डरु, करै जोर बरजोरी॥
ललितकिशोरी
श्री यमुना वंदना
लाज कौ जहाज़ आज बूढ़ौ जात-जाति मध्यतासों माँ उबारिबे कौं, बेगि बाँह गहियै
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
गोपाल माई खेलत हैं चौगान
करत न संक निसंक महाबल हरत नयन को मान।परमानंददास को ठाकुर गुर आनंद निधान॥
परमानंद दास
श्री राधा वंदना
ज्ञान मान की खान ध्यान धारा भगतन की।प्रिय ‘प्रीतम’ की प्रान प्रमान पतित पावन की॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
सतजुग वरत्यो त्रेता आयो
राम रूप दसासिर छेद्यो, लाखणजीने मान बडाई।जुग त्रेता में राव हरीचंद, जिण धरम किन्या परणाई।
जसनाथ
श्री सरस्वती वंदना
जय जयति बीना बादिनी सुर साधिनी माँ सारदे।मन मोहिनी जन मोद मति गो दोहिनी अनुसार दे॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
ओं आप ही आप आप उपन्ना
मान बड़ाई सेही लेसी हुय हुय चालै (हरि) बंदा।धरत किसी सूं वाद न कीजै, तूं है पूरी ढाल।
जसनाथ
खेलत फागु लाल गिरिधारी
खेलत फागु लाल गिरिधारी चलो राधेजू मान निवारी।इह औसर कछु और न ह्वै है छिनु छिनु जोबन जात बिथा री॥
गोविंद स्वामी
नाम में रूप, नाम में विद्या
बैजू
मैया री मैं गाय चरावन जैहौं
मैया री मैं गाय चरावन जैहौं।तू कहि महर नंद बाबा सौं बड़ौ भयो न डरैहौं॥
परमानंद दास
जहि मण पवण ण संचरइ
जहि मण पवण ण संचरइ, रवि−ससि णाहिं पवेस॥तहि बढ चित्त विसाम करु, सरहें कहिअ उएस॥