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यह दिव्य प्रसाद प्रिया प्रिय कौ
यह दिव्य प्रसाद प्रिया प्रिय कौ।दरसत ही मन मोद बढ़ावत, परसत पाप हरत हिय कौ॥
भगवत रसिक
मंगल आरति प्रिया प्रीतम की
मंगल चरन अरुन तरुवन की मंगल करनि भक्ति हरिजन की।मंगल जुगल प्रिया भावन की मंगल श्री राधाजीवन की॥
जुगलप्रिया
श्री राधा वंदना
अगम निगम जग सुगम अराधिता-सीप्रगटी हीं ब्रज ब्रजराज प्रिया राधिका॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
अग्र सुमुक्त मंजु अधर
अग्र सुमुक्त मंजु अधर अमृत अधिकारी।मनहुँ प्रिया मन किंधौ कंज पर कवि छवि भारी॥
बाल अली
पलक मोहिनी पखा बाटि
पलक मोहिनी पखा बाटि मखतूल छोरहैं।प्राण प्रिया पर करत पवन जनु नव किसोर हैं॥
बाल अली
मन तुम मलिनता तजि देहु
छाँड़ि कपट कलंक जग में सार साँचो एहु।‘जुगल प्रिया’ बन चित्त चातक स्याम स्वाँती मेहु॥
जुगलप्रिया
लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है
लता तू अनोखे ख्याल पर्यो है।अतिही नीदर नैन उनीदे, आरस-रंग भर्यो है॥
अलबेलीअलि
नीर प्रिय लागे जमुना तेरो
नित्य नहाऊँ तब सुख पाऊँ होत अलिन सों भेरो।जुगल प्रिया घट भरि कर लीन्हें सदाचित चेरो॥
जुगलप्रिया
जय श्री जमुने कलिमल-तारिनि
जेजन मज्जन करते विमलजल तिनको सब सुख मंगल कारिनी।जुगल प्रिया हूजै कृपालु अब दीजै कृष्णभक्ति अनपायिनी॥
जुगलप्रिया
जुगल छवि कब नैनन में आवै
कटि किंकिनि कंकन कर कमलनि वचनित मधुर छवि छावै।‘जुगल प्रिया’ पद-पदुम परसि कै अनल नहीं सचुपावै॥
जुगलप्रिया
जय गंगे जय तारनितरनि
जुगलप्रिया
स्याम-घन-तन चंदन छबि दे
मनों मंजु मनि नील सैल पर, खिली चाँदनी सेत।कै भीतर ते बाहर प्रगट्यौ, प्रान-प्रिया कौ हेत॥