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कैसे जल जाऊ मै पनघट जाऊँ
कैसे जल जाऊ मै पनघट जाऊँ।होरी खेलत नन्द लाड़िलो क्यों कर निबहन पाऊं।
रसिकबिहारी
कैसो माई अचरच उपजै भारी
भगत हेत अवतार लेत प्रभु प्रकट होत जुग चार्यो।परमानंद प्रभु की बलि जैये जिन गोवर्धन धारयो॥
परमानंद दास
हिंडोरे माई, झूलत गिरिधर लाल
हंसत परसपर इत उत चितवत चंचल नैन बिसाल।नंददास प्रभु की छबि निरखत बिबस भईं ब्रजबाल॥
नंददास
आये माई वरषा के अगवानी
घन की गरज सुन सुधि न रही कछु बदरन देख डरानी।कुंभनदास प्रभु गोवर्द्धनधर लाल भये सुखदानी॥
कुंभनदास
वीभत्स रस में ईश्वर-स्तुति
कितै मच्छ औ कच्छ की तुच्छ देही।कितै केहरी कोल है रक्त-नेही॥
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
देखौ माई! कान्ह हिलकियनि रोवै
माखन लागि उलूखल बाँध्यौ, सकल लोग ब्रज जोवै।निरखि कुरुख उन बालनि की दिस, लाजनि अँखियनि गोवै॥
सूरदास
मेरो मन गह्यौ माई मुरली कौ नाद
मुकति देहु संन्यासिन कौं हरि कामिनि देहु काम की रास।धरमिन देहु धरम कौ मारग मोमन रहै पद-अंबुज पास॥
परमानंद दास
माई री, कमलनैन स्यामसुंदर
माई री, कमलनैन स्यामसुंदर, झूलत है पलना॥बाल-लीला गावत, सब गोकुल की ललना॥
परमानंद दास
मनावत हार परी माई
ठोढ़ी हाथ दे चली दूतिका, तिरछी भौंह चढ़ाई।परमानंद प्रभु करूंगी दुल्हैया, तौ बाबा की जाई॥
परमानंद दास
आजु महामंगल निधि माई
सब स्रुतियन की संपति आई ब्रज जुवती मन भाई।हरषि-हरषि नाचत सब ब्रजजन बांटत विविध बधाई॥
चतुर्भुजदास
गोपाल माई कानन चले सवारे
खग मृग तरु पंछी सचु पायो गोप बधू बिलखानी।बिछुरत कृष्ण प्रेम की वेदन कछु परमानंद जानी॥
परमानंद दास
आज माई मोहन खेलत होरी
देत असीस सकल ब्रज बनिता अंग अंग सब मोरी।परमानंद प्रभु प्यारी की छवि पर गिरधर देत अंकोरी॥
परमानंद दास
जसोदा बरजत काहे न माई
हौं जो गई ही खरिक आपुने जैसेहि आंगन में आई।दूध दही की कीच मची है दूरितें देख्यौ कन्हाई॥
परमानंद दास
सखि हे, कि पुछसि अनुभव मोए
सखि हे, कि पुछसि अनुभव मोए।सेह पिरिति अनुराग बखानिअ तिल-तिल नूतन होए॥
विद्यापति
राधाजू को जन्म भयो सुनि माई
राधाजू को जन्म भयो सुनि माई।सुकल पच्छ निसि आठें घर घर होत बधाई॥
परमानंद दास
माई री, हौ आनंद गुन गाऊँ
माई री, हौ आनंद गुन गाऊँ।गोकुल की चिंतामनि माधो जो माँगौ सो पाऊँ॥