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राम बाम कर सुमन गिर्यौ
राम बाम कर सुमन गिर्यौ धोखे सों भूतल।रह्यौ न पूजा योग लेन पुनि लगे फूल दल॥
बनादास
लीन्हें कर बीन ललित
लीन्हें कर बीन ललित, लाड़िली जगावैं।प्रेम पुलकि अंग-अंग, दरस सरस अति उमंग;
अलबेलीअलि
कान्ह कुंवर के कर पल्लव
नंददास
पवन-पान कर रहे महीनों
पवन-पान कर रहे महीनों, अली अन्न नहिं भावैं हैं।पानी पियें न सोवैं निसि-दिन, बैठि समाधि लगावैं हैं॥
ललितकिशोरी
महमद महमद न कर काजी
महमद महमद न कर काजी, महमद को तो विषम विचारूँ।महमद हाथ करद जो होती, लोहै घड़ी न सारूँ॥
जांभोजी
पूरै गुरु री आलंग कर प्राणी
पूरै गुरु री आलंग कर प्राणी, पाणी हुंता पिंड घड़ै।चलणे चालो नैणे निरखो, कान सुणे ज्यूं सुरत पड़ै।
जसनाथ
कर मन, नंदनंदन कौं ध्यान
कर मन, नंदनंदन कौं ध्यान।यहि अवसर तोहिं फिरि न मिलैगो, मेरो कह्यौ अब मान॥
नारायण स्वामी
श्रीगणेश, वरेश, रक्षा कर हमेश
श्रीगणेश, वरेश, रक्षा कर हमेश, कलेश टार।सुर, सुरेश, दिनेश, शेषहु, वंदि, करत महेश प्यार॥
राधेश्याम कथावाचक
जै-जै कर पूजौं धौलागढ़ की रानी नैं
जै-जै कर पूजौं धौलागढ़ की रानी नैं।पान-सुपारी-धुजा-नारियल पहिलैं भेट भवानी नैं॥
तानसेन
केकी कीर कोकिला कोयल
केकी कीर कोकिला कोयल सामुहिं करैं जुहार।परसन दृगन कंज हित बोलैं, भृङ्गी जै-जै कार॥
ललितकिशोरी
राम सुमिरण करीय अभागी
राम सुमिरण करीय अभागी।त्रिभुवन नाथ सीता पति राघव, हृदय कमल में धरीय अभागी॥