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सब कुछ अपनी-अपनी जगहसही था
अपनी जगह से
अपने लिए महसूस हुई हैअपनी ही ज़रूरत।
उससे अधिकधँसा है कहीं अपनी ज़मीन में।
किसने तुमको भाँग पिलाई?समझो अपनी ताक़त भाई!!
ऐसे किसी दिन तुम्हारे अधिकारों का प्रजनन मुझसे और न हो पाएगाऔर तुम्हारी आँखों के सामने ही तलाश लूँगी मैं अपनी ज़मीन।
इस चाय के बादजाओगी तुम अपने घर
ठंडा पानी निकलेगा...सभी रिश्तों ने अपनी वजहों से प्यार किया
हम चुपचाप अपनी सज़ा क़ुबूल करते हैं
अपनी धुन में।
बढ़ाओ बस उसका विस्तारकरो अपनी भाषा पर प्यार॥
मैं अपनी कथा कहना चाहता थाकथा शुरू करते ही
दर्पण में अपनी सूरत निहारने लगासिर्फ़ अपनी ही आँखों में झाँकना
टाल नहीं सकता अपनी कही बातलौटना
मुर्दा तो सालाअपनी जगह मस्त है।
तू मुझे अपनी छाया बना लेमैं तेरे साथ-साथ रहूँ
—आँखें मूँदे चला जा रहा था मैंअपनी ही धुन में।
देखता हूँ अपनी यह धरतीअब मेरी अपनी ही आँखों से
अपनी चीज़ों के बारे में निष्पक्ष होना मुश्किल हैइसलिए मैंने तय किया कि
अक्सर, कितने पास होने के बावजूदहम अपनी-अपनी दुनिया में
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