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तू मुझे अपनी छाया बना ले

tu mujhe apni chhaya bana le

अनुवाद : रामसिंह चाहल

अमरजीत चंदन

अन्य

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अमरजीत चंदन

तू मुझे अपनी छाया बना ले

अमरजीत चंदन

और अधिकअमरजीत चंदन

    तू मुझे अपनी छाया बना ले

    मैं तेरे साथ-साथ रहूँ

    और अँधेरा होने पर, तुझ में समा जाऊँ

    मैं हर प्यारी शै की

    हर पल रंग बदलती छाया बनूँ

    घूमती छाया बनूँ

    आंगन में उगी बेरी की

    मैं छाया बनूँ सूरज की

    जिसको लोग धूप कहते हैं

    मैं छाया बनूँ पलकों की

    जहाँ हम सभी बैठे हैं

    तू मैं और तीसरा

    जो दोनों आँखों का जोड़ है

    तू मुझे अपनी छाँव बना ले

    स्रोत :
    • पुस्तक : ओ पंखुरी (पृष्ठ 43)
    • संपादक : रामसिंह चाहल
    • रचनाकार : अमरजीत चंदन
    • प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

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