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उदय भाग रवि मित कहु
उदय भाग रवि मीत कहु, छाया बड़ी लखाति।अस्त भए निज मीत कहँ, तनु छाया तजि जाति॥
रत्नावली
कबहूँ कि ऊगे भाग रवि
कबहहूँ कि ऊगे भाग रवि, कबहूँ कि होय विहान।कबहूँ कि विकसै उर कमल, रत्नावलि सकुचान॥
रत्नावली
सुन्दर जागे भाग सिर
सुन्दर जागे भाग सिर, सद्गुरु भये दयाल।दूरि किया बिष मंत्र सौं, थकत भया मन ब्याल॥
सुंदरदास
पीछे निन्दा जो करें
पीछे निन्दा जो करें, अरु मुख पैं सनमान।तजिए ऐसे मीत को, जैसे ठग-पकवान॥
दीनदयाल गिरि
कबीर की साखियाँ (एन.सी. ई.आर.टी)
जाति न पूछो साध की, पूछ लीजिए ज्ञान।मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।1।
कबीर
विषै भोग की आस में
विषै भोग की आस में, सब दिन दियो बिताय।रे मन, करिहै काह अब, पीरी पहुँची आय॥
शिव सम्पति
सूर न पूछे टीपणौ
सूर न पूछे टीपणौ, सुकन न देखै सूर।मरणां नू मंगळ गिणे, समर चढे मुख नूर॥
कविराजा बाँकीदास
साहिब सीतानाथ सों
साहिब सीतानाथ सों, जब घटि है अनुराग।तुलसी तबहीं भाल तें, भभरि भागि हैं भाग॥
तुलसीदास
तुलसी प्रीति प्रतीति सों
तुलसी प्रीति प्रतीति सों, राम नाम जप जाग।किएँ होइ बिधि दाहिनो, देइ अभागेहि भाग॥
तुलसीदास
जिहि विषिया सगरी तजी
जिहि विषिया सगरी तजी, लिओ भेख बैराग।कह नानक सुन रे मना! तिह नर माथै भाग॥
गुरु तेग़ बहादुर
बिनु सतसंग न हरिकथा
बिनु सतसंग न हरिकथा, तेहि बिनु मोह न भाग।मोह गएँ बिनु रामपद, होइ न दृढ़ अनुराग॥