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नहिं विषाद की बात जो
नहिं विषाद की बात जो, नलिनी भई उदास।कुमुदिनि-पति! तुहिं लखि जबै, कुमुदिनि हिये हुलास॥
मोहन
नहि सरहिये स्वर्ण गिरि
नहि सरहिये स्वर्ण गिरि, जहँ तरु तरुहि रहाहि।धन्य मलयगिरि जहँ सकल, तरु चंदन हुई जाहि॥
विनायकराव
राग द्वेष उपजै नहीं
राग द्वेष उपजै नहीं, द्वैत भाव को त्याग।मनसा बाचा कर्मना, सुन्दर यहु बैराग॥
सुंदरदास
ऐसो मीठो नहिं पियुस
ऐसो मीठो नहिं पियुस, नहिं मिसरी नहिं दाख।तनक प्रेम माधुर्य पें, नोंछावर अस लाख॥
दयाराम
बिन पाइन का पंथ है
बिन पाइन का पंथ है, क्यौं करि पहुँचै प्राण।बिकट घाट औघट खरे, माहिं सिखर असमान॥
दादू दयाल
इश्क उसी की झलक है
इश्क उसी की झलक है, ज्यौं सूरज की धूप।जहाँ इस्क तहँ आप हैं, क़ादिर नादिर रूप॥
नागरीदास
नाम लिया तिन सब किया
नाम लिया तिन सब किया, सुंदर जप तप नेम।तीरथ अटन सनान ब्रत, तुला बैठि दत्त हेम॥
सुंदरदास
कहूँ किया नहिं इस्क का
कहूँ किया नहिं इस्क का, इस्तैमाल सँवार।सो साहिब सों इस्क वह, करि क्या सकै गँवार॥
नागरीदास
जौ न जुगति पिय मिलन की
जौ न जुगति पिय मिलन की, धूरि मुकति-मुँह दीन।जौ लहियै सँग सजन तौ, धरक नरक हूँ की न॥
बिहारी
बाग़ों ना जा रे ना जा
बाग़ों ना जा रे ना जा, तेरी काया में गुलज़ार।सहस-कँवल पर बैठ के, तू देखे रूप अपार॥
कबीर
दादू इसक अलह की जाति है
दादू इसक अलह की जाति है, इसक अलह का अंग।इसक अलह औजूद है, इसक अलह का रंग॥