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यह बिनसतु नगु राखि कै
यह बिनसतु नगु राखि कै, जगत बड़ौ जसु लेहु।जरी विषम जुर जाइयैं, आइ सुदरसनु देहु॥
बिहारी
हिन्दू में क्या और है
हिंदू में क्या और है, मुसलमान में और।साहिब सब का एक है, ब्याप रहा सब ठौर॥
रसनिधि
हिंदू तो हरिहर कहे
हिंदू तो हरिहर कहे, मुस्सलमान खुदाय।साँचा सद्गुरु जे मिले, दुविधा रहे ना काय॥
संत बाबालाल
क्या हिन्दू क्या मुसलमान
क्या हिन्दू क्या मुसलमान, क्या ईसाई जैन।गुरु भक्ती पूरन बिना, कोई न पावे चैन॥
संत शिवदयाल सिंह
नागरी ते आगरी भली
नागरी ते आगरी भली, नागरी सागरी संग।बूँद परा एह सिंधु में, कौन परिखे रंग॥
दरिया (बिहार वाले)
जीव बधन राधन करे
जीव बधन राधन करे, साधन भैरो भूत।जन्म तुम्हारा मृथा है, श्वान सूकर का पूत॥
दरिया (बिहार वाले)
मरना-मरना सब कहे
मरना-मरना सब कहे, मरिगौ बिरला कोय।एक बेरि एह ना मुआ, जो बहुरि ना मरना होय॥
दरिया (बिहार वाले)
माला टोपी भेष नहीं
माला टोपी भेष नहीं, नहीं सोना शृंगार।सदा भाव सतसंग है, जो कोई गहे करार॥
दरिया (बिहार वाले)
भक्ति करे सो सूरमा
भक्ति करे सो सूरमा, तन मन लज्जा खोय।छैल चिकनिया बिसनी, वा से भक्ति ना होय॥
दरिया (बिहार वाले)
सुरति निरति नेता हुआ
सुरति निरति नेता हुआ, मटुकी हुआ शरीर।दया दधि विचारिये, निकलत घृत तब थीर॥
दरिया (बिहार वाले)
दरिया दिल दरपन करो
दरिया दिल दरपन करो, परसत ऐन अनूप।ऐन ऐना में दीसे, देखि बिमल एक रूप॥
दरिया (बिहार वाले)
प्रेम ज्ञान जब उपजे
प्रेम ज्ञान जब उपजे, चले जगत कंह झारी।कहे दरिया सतगुरु मिले, पारख करे सुधारी॥
दरिया (बिहार वाले)
निरखि परखि नीके गुरु कीजे
निरखि परखि नीके गुरु कीजे, बेड़ा बांधु संभारी।कलि के गुरु बड़े प्रपंची, डारि ठगौरी मारी॥
दरिया (बिहार वाले)
पढ़ि कुरान फाजिल हुआ
पढ़ि कुरान फ़ाज़िल हुआ, हाफ़िज़ की ऐसी बात।सांच बिना मैला हुआ, जीव क़ुरबानी खात।
दरिया (बिहार वाले)
साखी सबद ग्रन्थ पढ़ि
साखी सबद ग्रंथ पढ़ि, सीख करिहैं नर नारि।आपन मन बोधा नाहिं, दर्व हरन के झारि॥
दरिया (बिहार वाले)
प्रेम मारग बांको बड़ो
प्रेम मारग बांको बड़ो, समुझि चढ़े कोई जानि।ज्यों खांडो की धारि है, सतगुरु कहा बखानि॥
दरिया (बिहार वाले)
गाय की हत्या कहे
गाय की हत्या कहे, महिषी कहे अशुद्ध।एक हाड़ एक चाम है, एक दहि एक दूध॥
दरिया (बिहार वाले)
जब लगि विरह न उपजे
जब लगि विरह न उपजे, हिये न उपजे प्रेम।तब लगि हाथ न आवहिं धरम किये व्रत नेम॥