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तव अलि छलकत अलक अलि
तव अलि छलकत अलक अलि, रस शृंगारिक धार।श्याम भये रंग भीजि तिहि, प्रीतम प्राण अधार॥
बाल अली
है अलि सुंदरि उरज युग
है अलि सुंदरि उरज युग, रहे तव उरजु प्रकाश।नवल नेह के फंद द्वै, अतिपिय सुख की रासि॥
बाल अली
नाह-नेह-नभ तें अली
नाह-नेह-नभ तें अली, टारि रोस कौ राहु।पिय-मुख-चंद दिखाहु प्रिय, तिय-कुमुदिनि बिकसाहु॥
दुलारेलाल भार्गव
चंपा हनुमत रूप अलि
चंपा हनुमत रूप अलि, ला अक्षर लिखि बाम।प्रेमी प्रति पतिया दियो, कह जमाल किहि काम॥
जमाल
चंपा हनुमँत रूप अलि
चंपा हनुमँत रूप अलि, ला अक्षर लिखि बाम।प्रेमी प्रति पतिया दियो, कह जमाल किहि काम॥
जमाल
अलि ये उड़गन अगिनि कन
अलि ये उड़गन अगिनि कन,अंक धूम अवधारि।मानहु आवत दहन ससि, लै निज संग दवारि॥
बैरीसाल
जोबन-उपबन-खिलि अली
जोबन-उपबन-खिलि अली, लली-लता मुरझाय।ज्यों-ज्यों डूबे प्रेम-रस, त्यों-त्यों सूखति जाय॥
दुलारेलाल भार्गव
कटि सों मद रति बेनि अलि
कटि सों मद रति बेनि अलि, चखसि बड़ाई धारि।कुच से बच अखि ओठ भों, मग गति मतिहि बिसारि॥
दयाराम
करि सिंगार दिन में अली
करि सिंगार दिन में अली, चली मिलन सुखकंद।सारी जरी पहिरैं करी, पूरी दुपहरी मंद॥
दौलत कवि
मारुत सुत, अलि, हंस अरु
मारुत सुत, अलि, हंस अरु, लिख मंदिर रंग स्वेत।चौरँग पौढ़ी चतुर तिय, कह जमाल किहि हेत॥
जमाल
कबहुँक सुंदर डोल महि
कबहुँक सुंदर डोल महि, राजत युगल किशोर।अद्भुत छवि बाढ़ी तहाँ, ठाढ़ी अलि चहुँ ओर॥
बाल अली
ललित लीला लाल सिय की
ललित लीला लाल सिय की, त्रिगुन माया पार।पुरुष तहँ पहुँचे नहीं, केवल अली अधिकार॥
रसिक अली
कबहुँ निहारत नृत्य सुख
कबहुँ निहारत नृत्य सुख, ललन आइ तिहि गेह।जहँ चातुर आतुर अली, गावत पिय नव नेह॥
बाल अली
वारि अपन पौ दृगन तैं
वारि अपन पौ दृगन तैं, डरि अलि कछू कहून।रहत उतारत हीय महिं, पियहू राई लून॥
बाल अली
कबहुँ तहाँ हिय उमगि दोउ
कबहुँ तहाँ हिय उमगि दोउ, कुँवर करत कल गान।अली रूप रागिनि तहाँ, वारत अपने प्रान॥