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कुकरहाव
श्रीलाल शुक्ल
जो पढ़ नहीं सकते
जो पढ़ नहीं सकते, उन्हें अनपढ़ कहकर हम ऐसे लोगों के लिए शब्द नहीं छोड़ते जो पढ़ सकते है, मगर पढ़ते नहीं।
कृष्ण कुमार
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गाँधी जी ने खादी का
हरिशंकर परसाई
बोलि हारे कोकिल बुलाय हारे केकीगन
बोलि हारे कोकिल बुलाय हारे केकीगन,सिखै हारीं सखी सब जुगुति नई-नई।
द्विजदेव
बोली ना बोलौ पिछवारैं
बोली ना बोलौ पिछवारैं, कल ना परै हमारें।तोरे बोल सैल से लागैं, जीरा लेत निकारें।
किशोर (बुंदेलखंडी)
भरि लोचन बोली प्रिया
भरि लोचन बोली प्रिया, कुंज ओट रिसठानि।पाए जानि तुम्हें अबै, करत प्रीति की हानि॥
कृपाराम
खादी मानवीय मूल्यों की प्रतीक है
खादी मानवीय मूल्यों की प्रतीक है, जबकि मिल का कपड़ा केवल भौतिक मूल्य प्रकट करता है।