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यह अधिक अच्छा है
यह अधिक अच्छा है कि दस दोषी व्यक्ति बच जाए अपेक्षाकृत इसके कि एक निर्दोष दंडित हो।
विलियम ब्लैकस्टोन
राखति न दोषै पोषै पिंगल के लच्छन कौं
राखति न दोषै पोषै पिंगल के लच्छन कौं,बुध कवि के जो उपकंठ ही बसति है।
सेनापति
जगत बिझूका देखि करि
जगत बिझूका देखि करि, मन मृग मानै संक।सुन्दर कियौ बिचार जब, मिथ्या पुरुष करंक॥
सुंदरदास
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देश-देश दिशि-दिशि बिदिशि बिदीशन में
देश-देश दिशि-दिशि बिदिशि बिदीशन में,मैन मत मानिकोन कीनो मत मीन को।
दिनेश
समझि देषि कुछ नांही रे
समझि देखि कुछ नांही रे!तूँ नांही नांही सूँ लागा, साच न सूझै मांही रे॥
हरिदास निरंजनी
पिय-बिछुरन कौ दुसहु दुखु
पिय−बिछुरन कौ दुसहु दुखु, हुरषु जात प्यौसार।दुरजोधन लौं देखयति तजत प्रान इहि बार॥
बिहारी
दीपक देह दशा सों मिलै सुदशा
दीपक देह दशा सों मिलै सुदशा मिलि तेजहिं जोति जगावै।जागिकै जोति सबै समुझै तम शोधि सु तौ शुभता दरसावै॥
केशवदास
विभचारिणि कहै देखि
विभचारिणि कहै देखि, तूं मेरै पिय कै बाल।सुन्दर पतिबरता कहै, तेरै मांथै ताल॥
सुंदरदास
विभचारिणि कहै देखि
विभचारिणि कहै देखि, तूं मेरै पिय कौ गात।सुन्दर पतिबरता कहै, तेरी छाती लात॥
सुंदरदास
पतिबरता देखै नहीं
पतिबरता देखै नहीं, आंन पुरुष की ओर।सुन्दर वह विभचारिणि, तकत फिरै ज्यौं चोर॥
सुंदरदास
अपनी छाया देषि कै
अपनी छाया देखि कै, कूकर जानै आंन।सुन्दर अति ही जोर करि, भुसि-भुसि मूवौ स्वांन॥