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हनुमान प्रसाद पोद्दार के उद्धरण

यह मत समझो कि 'अभी छोटी उम्र है—खेलते-खाने और विषय भोगने का समय है, बड़े-बूढ़े होने पर भजन करेंगे।' कौन कह सकता है कि तुम बड़े-बूढ़े होने से पहले ही नहीं मर जाओगे? मौत की नंगी तलवार तो सदा ही सिर पर झूल रही है।