Font by Mehr Nastaliq Web

जॉर्ज ऑरवेल के उद्धरण

यह भी सच है कि कोई कुछ पठनीय तब तक नहीं लिख सकता जब तक वह लगातार ख़ुद के व्यक्तित्व से ख़ुद को मुक्त न करता रहे। अच्छा गद्य एक खिड़की की तरह होता है।

अनुवाद : गार्गी मिश्र