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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

विज्ञान का इतिहास भी भूलों से ख़ाली नहीं, किंतु विज्ञान को इन भूलों की कड़ियों से निर्मित नहीं मान सकते।

अनुवाद : सत्यकाम विद्यालंकार