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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

वाल्मीकि शोषित मानवता के पक्षधर हैं; इसीलिए उनकी रामायण में जितनी महती कथा राम की है, उससे कहीं अधिक बड़ी और करुण कथा सीता की है। धिक्कृत नारीत्व की विडंबना को चित्रित करते हुए भी, वाल्मीकि स्त्री की अपार शक्ति में आस्था रखते हैं।