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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

वाल्मीकि के राम लीलामय परमेश्वर के अवतार नहीं; मर्त्यलोक के मानव ही हैं, पर वे अपने संघर्ष, जिजीविषा, विवेक और सद्भावना द्वारा मनुष्य का उत्कृष्ट गरिमामय रूप प्रकट करते हैं।