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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

उसे विश्वास हो गया कि अपने देशवासी समय के बारे में सिर्फ़ दो सही शब्द जानते हैं और वे हैं अनादि और अनंत। इसके सिवाए वे लगभग पचहत्तर वर्ष पुराने मंदिर को आसानी से गुप्तकाल या मौर्यकाल में धकेल सकते हैं।