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नलिनीबाला देवी के उद्धरण

तुम वही शरद्कालीन अमृतमयी ज्योत्स्ना हो, जो विषाद की घन घटाओं को दूर करती है। तुम्हारे हृदय के पुण्य स्पर्श मात्र से दरिद्र की कुटिया शांति निकेतन बन जाती है।