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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

तुलसीदास उन सबकी उग्र आलोचना करते हैं, जो वेद तथा पुराण का विरोध करते हैं और श्रुतिसम्मत तथा पुराण-पोषित भक्तिपथ से अलग चलने की कोशिश करते हैं।