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वेदव्यास के उद्धरण

तू दीन होकर अस्त न हो जा। अपने शौर्यपूर्ण कर्म से प्रसिद्धि प्राप्त कर। तू मध्यम, अधम अथवा निकृष्ट भाव का आश्रय न ले, वरन् युद्धभूमि में सिंहनाद करके डट जा।