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महात्मा गांधी के उद्धरण

स्वच्छता इत्यादि के नियमों का पालन करते हुए और खाद्याखाद्य के विवेक की रक्षा करते हुए, सब वर्णों के एक पंक्ति में खाने में कोई भी दोष नहीं है। किसी ख़ास वर्ण के आदमी का ही बनाया भोजन होना बिल्कुल ज़रूरी नहीं है।