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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

सूरसागर की काव्यवस्तु में सूर की मौलिकता और सर्जनात्मक कल्पना की अभिव्यक्ति तीन रूपों में हुई है : नवीन प्रसंगोद्भावना, मौलिक सृजनशक्ति, नवीन सृष्टि दृष्टि।