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महात्मा गांधी के उद्धरण

स्तुति, उपासना, प्रार्थना वहम नहीं हैं; बल्कि हमारा खाना-पीना, चलना-बैठना जितना सच है, उससे भी अधिक सच यह चीज़ है।