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जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

शब्द ही वस्तु नहीं है, वर्णन स्वयं वर्णित चीज़ नहीं है, व्याख्या स्वयं व्याख्येय वस्तु नहीं है। किन्तु आप व्याख्या से ही चिपके रहते है, आप शब्द को ही पकड़े रहते हैं—और यही अड़चन है।