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वेदव्यास के उद्धरण

सहयात्रियों का समुदाय अथवा साथ में यात्रा करने वाला साथी ही प्रवासी का मित्र है, पत्नी गृहवासी का मित्र है, वैद्य रोगी का मित्र है और दान मरते हुए मनुष्य का मित्र है।