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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

साहित्य-शिक्षा का एक आनुषंगिक लक्ष्य यह भी होता है कि छात्रों में रचना-शक्ति का विकास हो।

अनुवाद : विश्वनाथ नरवणे