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कृष्ण कुमार के उद्धरण

साहित्य में मंच और नेपथ्य की भूमिकाएँ जीवन से अलग हैं। मंच जीवन का अनुकरण होने देता है, पर नेपथ्य में प्रतीक्षा की पूर्णता है।