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कृष्ण कुमार के उद्धरण

रंगकर्मी और शिक्षाकर्मी का भला क्या अर्थ हो सकता है? ये संरचनाएँ भी उस फ़िज़ूलख़र्ची के ही उदाहरण हैं जिनके कारण भाषा की अवमानना हुई है। इसका प्रतिकार फ़िज़ूलख़र्ची रोककर ही संभव है।