प्यार… प्रकृति की तरह है, लेकिन उल्टा—पहले यह फल देता है, फिर फूलता है, फिर मुरझाने लगता है, फिर यह अपने बिल में बहुत गहराई तक चला जाता है, जहाँ कोई इसे नहीं देखता, जहाँ यह आँखों से ओझल हो जाता है और अंततः लोग अपनी आत्मा के भीतर दबे उस रहस्य के साथ मर जाते हैं।