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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

पुत्र का अपने पिता की प्रतिकृति जैसा प्रतीत होना—इस अभिप्राय का प्रयोग भी वाल्मीकि ने ही प्रारंभ किया।