श्रीनरेश मेहता के उद्धरण
अनात्म होने का अर्थ ही है ‘पुरुष’ होना। इच्छा या प्रकृति आपको माध्यम तभी तक बना सकती है जब तक आप ‘पुरुष’ नहीं हैं।
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