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राजेंद्र माथुर के उद्धरण

पूजा के घुटन-भरे दायरे से निकालकर उसे सौंदर्य और उपयोगिता के स्तर पर प्रतिष्ठित करें। जिस देश की खेती गिरी हुई, जहाँ दूध मिलावट का हो और घी ग़ायब होता जा रहा हो, जहाँ दुनिया की सबसे ज़्यादा गाएँ सबसे कम दूध देती हों—वहाँ गो-पूजा एक बेमतलब, बेजान चीज़ है। गो-पूजा दरअसल गो-उपेक्षा का दूसरा नाम है और उसका बहाना है।