Font by Mehr Nastaliq Web

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के उद्धरण

प्रेम वास्तव में राग का ही पूर्ण विकसित रूप है। वासनात्मक अवस्था से भावात्मक अवस्था में आया हुआ राग ही अनुराग या प्रेम है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए