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अब्दुल अहद 'आज़ाद' के उद्धरण

प्रेम ने बड़े-बड़े तपस्वियों और विद्वानों की मति फेर दी है। यह कोमल व खिले यौवन को क्षण भर में मिटाकर राख कर देता है।