संत तुकाराम के उद्धरण

प्रेम की कलह है। बच्चा पल्ला पकड़कर ऐंचता-ऐठता है। पिता को इधर-उधर हिलने नहीं देता है। यदि पिता चाहे तो बच्चे को झटक सकता है, उसमें कौन से बड़े बल की ज़रूरत है? झटका देने में देर भी कितनी लगेगी? परंतु स्नेह-सूत्र के जाल ऐसे हैं, कि बलवान भी उनमें फँस जाते हैं।
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