होर्खे लुइस बोर्खेस के उद्धरण

प्रत्येक क्षण स्वायत्त है। प्रतिहिंसा न क्षमा न सज़ा न विस्मृति ही अभेद्य अतीत में कोई हेरफेर कर सकती है। मेरे अपने सोच में, उम्मीद और भय भी कोई कम निरर्थक नहीं लगते क्योंकि वे सदैव भावी घटनाओं के प्रति इशारा करते हैं यानी, ऐसी घटनाओं के प्रति जो हमारे साथ नहीं घटेंगी, जो महीन तफ़सील में वर्तमान हैं।
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