आचार्य रामचंद्र शुक्ल के उद्धरण

'निर्गुण' और 'अव्यक्त' को लेकर कभी कोई भक्तिमार्ग भारतीय आर्यधर्म के भीतर नहीं चला। अव्यक्त को लेकर चलने वाला हमारे यहाँ बस योगमार्ग है। योगमार्ग भक्तिमार्ग से बिल्कुल अलग है।
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