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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

नदी देश को जल देती है; अन्न देती है, लेकिन इससे भी बड़ा उसका एक दान है—वह देश को गति देती है।

अनुवाद : विश्वनाथ नरवणे