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विलियम शेक्सपियर के उद्धरण

न तो ऋण माँगने वाले बनो, न देने वाले, क्योंकि प्रायः ऋण अपने को और मित्र दोनों को खो देता है और ऋण माँगना, मितव्ययिता के स्वभाव को शिथिल कर देता है।