मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिन्हें प्रेम की नैतिक शक्ति व आत्मिक एकता का वरदान प्राप्त है, जिनमें परायों के प्रति शत्रुता की भावना नहीं है और परायों की जगह ख़ुद को रखकर सहानुभूतिपूर्ण अंतर्दृष्टि से काम लेते हैं—वे ही आनेवाले युग में स्थायी जगह पाने के योग्यतम सिद्ध होंगे।