मेरे लिए लेखन एक तरह का प्रतिरोध है। किताब के ज़रिए मैं प्रतिरोध कर सकता हूँ, लेकिन फ़िल्म के ज़रिए नहीं। क्योंकि फ़िल्म में आपकी बाध्यता होती है कि आपको कहानी का साथ नहीं छोड़ना है, जबकि किताब में मैं चाहे जब—कहानी से दूर हटकर अपने विचार प्रस्तुत कर सकता हूँ।