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महात्मा गांधी के उद्धरण

मेरे जीवन में जैसे-जैसे त्याग और सादगी बढ़ी और धर्म-जागृति का विकास हुआ, वैसे-वैसे निरामिषाहारका और उसके प्रचार का मेरा शौक़ बढ़ता गया।