जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

मौन कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसका आप अभ्यास कर सकते हैं या जिसकी आप साधना कर सकते हैं। जब आप जीवन के आरंभ को, इसके संपूर्ण ढाँचे को तथा जीने की प्रक्रिया को समझ जाते हैं तभी इस मौन का जन्म होता है।
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